बाल सेवा के देवदूत आचार्य कृष्ण विनायक फड़के खाओ पियो मस्त रहो खेलों खोजो चुस्त रहो पढ़ो टींच रहो का सूत्र वाक्य सड़कों गलियों मोहल्ले में बच्चों के बीच दोहराने वाले आचार्य कृष्ण विनायक फड़के के प्रख्यात शिक्षा शास्त्री बालकल्याण आंदोलन के प्रणेता मूल रूप से महाराष्ट्र के थे , लेकिन उनका जन्म मध्य प्रदेश के दमोह जिले के पथरिया ग्राम में 8 अक्टूबर 18 95 को हुआ था जो कि जोकि अश्विन शुक्ला पंचमी संवत 2052 भी होती है उच्च शिक्षा प्राप्त करने हेतु वह 1915 में कानपुर के क्राइस्ट चर्च कॉलेज आए ,अमर शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी पंडित बालकृष्ण शर्मा नवीन के सानिध्य में रहकर कानपुर उनका कार्यक्षेत्र बन गया 2 वर्ष तक काजल क्राइस्ट चर्च कॉलेज में अध्यापक रहकर अध्यापन कार्य किया तत्पश्चात उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद के पश्चात 1922 में मारवाड़ी कालेज में प्रधानाचार्य का पद ग्रहण किया 20 वर्ष तक इस पद पर रहकर मारवाड़ी कॉलेज को प्रदेश की सर्वश्रेष्ठ शिक्षा संस्थान में स्थापित कराया सन 1940 में विजय लक्ष्मी पंडित के हाथों से कानपुर बाल संघ की स्थापना करा कर उन्होंने बाल कल्याण बाल मनोविज्ञान एवं बाल शिक्षा को नई दिशा देकर उत्तर भारत में बाल कल्याण का सूत्रपात किया देश के प्रमुख नगरों का भ्रमण कर नगर पालिका से स्वयं पत्र व्यवहार कर उन्होंने बच्चों की योजनाएं शुरू कराई रामकृष्ण परमहंस शताब्दी समारोह के मंत्री बनाए गए जिनका दायित्व निभाया बाल दर्शन पर अनेक ग्रंथों की रचना की शिशु के स्वास्थ्य मनोरंजन विकास आदि की समस्याओं के साथ बाल गीत भजनों प्रकाशित कर हजारों की संख्या में जन समुदाय को मुफ्त वितरित किए प्रातः काल गलियों में उनकी सिटी की ध्वनि सुनते ही बच्चे इस मसीहा के पास दौड़कर आ जाते थे बच्चों को ट्राफी व कंपट बांटते बांटते उनका पूरा झोला खाली हो जाता था संगीत शिक्षा की शुरुआत के साथ ही महाराष्ट्र मंदिर ज्ञान भारती किराना सेवा समिति बाल औषधालय आदि संस्थाओं के प्रेरणास्रोत बने स्काउट कमिश्नर के रूप में इनकी सेवाएं सदैव याद रखी जाएंगी आचार्य कृष्ण विनायक फड़के विभिन्न सामाजिक संगठनों सेवा संस्थानों तथा सर्वोदय आंदोलन की संस्थाओं से भी जुड़े रहे जिसमें गोलाघाट सत्संग मंदिर हिंदू अनाथालय सर्वोदय समाज गांधी शांति प्रतिष्ठान आचार्य कुल आदि संस्थाओं के जी पेरक आर्थिक एवं शारीरिक कष्टों से जुड़े रहने के पश्चात भी उनके उत्साह में कोई कमी नहीं कानपुर बाल संघ की स्थापना कर बाल सेवा के विभिन्न आयामों को उत्तरोत्तर गतिशील बनाए रखा अनेक महान विभूतियों का मार्गदर्शन कानपुर बाल संघ को प्राप्त होता रहा जिनमें राष्ट्र कवि सोहन लाल द्विवेदी श्री भगवती प्रसाद गुप्त अशोक मसाले बाल सेवक लोकेश्वर नाथ सक्सेना बाल कवि साहित्यकार नरेश चंद सक्सेना संता सेनानी एवं बाल सेविका मानवत्ति आर्या आदि प्रमुख रहे वर्तमान में कानपुर श्री जगदंबा भाई, सुश्री सुधा ,वाखले, श्री सत्यनारायण नेवटिया कमल कांत तिवारी आज का मार्गदर्शन एवं सहयोग मिल रहा है कानपुर बालकों के शैक्षिक उन्नयन मानसिक विकास स्वास्थ्य मनोरंजन तथा अभिभावकों का बच्चों के साथ व्यवहार बाल संस्कार आज पर केंद्रित कार्यों की योजनाओं की ओर नियंत्रित है बाल पुस्तकालय वाचनालय पार्कों में बच्चों के लिए झूले तथा अन्य उपकरणों की व्यवस्था करना एवं बच्चों को पठन-पाठन सामग्री का वितरण किया जाता है
125 वीं जयंती पर आचार्य श्री विनायक फड़के बाल सेवा के दूत