कानपुर 30 दिसंबर. *70 दिनों के जीवन में 44 दिन हैलट में इलाज के बावजूद नहीं बची आनंदी* आज के युग में समाज में ऐसी घटनाएं प्रकाश में आती रहती है जिसमें अपने सगे संबंधी ही बच्चों को उनका पालन-पोषण न कर पाने पर उनको लावारिस हालत में छोड़ देते हैं इसी प्रकार का प्रकरण चाइल्ड लाइन कानपुर में प्रकाश में दिनांक 24 अक्टूबर 2019 को आया जिसमें हमें आज समाज का अमानवीय चेहरा देखने को मिला था जिसमें 1 दिन की अज्ञात बालिका आनंदी को परिजनों द्वारा बालिका को अरा ने क्षेत्र में लावारिस हालत में छोड़ देते है जिसको की बाल कल्याण समिति के आदेशानुसार सुभाष चिल्ड्रन दत्तक ग्रहण ग्रहण इकाई में आश्रय दिलाया गया था और बालिका के चाइल्ड लाइन के संपर्क में आने के पूर्व ही बालिका शारीरिक रूप से कमजोर थी जिसका समय समय पर लगातार इलाज चलता रहा लेकिन 70 दिनों के जीवन में 44 दिन हैलट में इलाज के बावजूददिनांक 6:12 19 को बालिका के स्वस्थ होने पर बालिका को सुभाष चिल्ड्रन दत्तक ग्रहण ग्रहण इकाई में आशा दिलाया गया दिनांक 29 12 उन्नीस को श्रीमती मंजूषा सचान स्टाफ नर्स द्वारा 6:00 बजे बालिका का चेकअप किया गया जिसमें बालिका का बुखार नॉर्मल था वह रात्रि 11:00 बजे से 12:00 बजे लगभग साहिका रुचि सचान व सरोजनी देवी द्वारा दूध पिलाया गया और बालिका को सुलाया गया जिसके पश्चात प्रातः 7:00 बजे लगभग बालिका को सभी बच्चों की भांति उठाया गया तो बालिका आनंदी की तबीयत अचानक बिगड़ती नजर आई जिस पर सहायिका रुचि सचान द्वारा अध्यक्ष का आशा सचान को बताया गया इसके पश्चात संस्था अध्यक्ष को खबर की गई जिस पर 108 एंबुलेंस को फोन किया गया लेकिन एंबुलेंस नहीं पहुंची जिसके पश्चात बालिका को तत्काल संस्था अध्यक्ष कमल कांत तिवारी प्रभारी आदीक्षिका संजुला पांडे व सामाजिक कार्यकर्ता पीयूष शुक्ला अपने निजी वाहन से हैलट हॉस्पिटल ले गए जहां हैलट के डॉक्टरों द्वारा बालिका को मृत घोषित कर दिया गया जिससे बालिका आनंदी को बचाया नहीं जा सका संस्था अध्यक्ष कमल कांत तिवारी ने बताया कि बालक की मृत्यु की सूचना किशोर न्याय बालकों की देखरेख एवं संरक्षण अधिनियम 2016 के आदर्श नियम 2016 की धारा 75 की उप धारा 1 2 3 ब 7 के अंतर्गत बालक के मृत्यु के संबंध में समस्त प्रक्रिया सुनिश्चित की जा रही है और माननीय जिला प्रोवेशन अधिकारी कानपुर नगर संबंधित थाना नौबस्ता व बालकल्याण न्याय पीठ कानपुर नगर को लिखित रूप से सूचना दी गई है
*70 दिनों के जीवन में 44 दिन हैलट में इलाज के बावजूद नहीं बची आनंदी*